तारीख: 12 सितंबर 2023
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 सितंबर 2023 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा विकसित नई फसलों की किस्मों को राष्ट्र को समर्पित किया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर उन्होंने कृषि के क्षेत्र में देश के आत्मनिर्भरता के सपने को साकार करने की दिशा में उठाए गए कदमों को एक नई दिशा दी। इस आयोजन में कुल 35 फसलों की उन्नत किस्मों को जारी किया गया, जो भारतीय कृषि में पैदावार, पोषण और प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
भारतीय कृषि में सुधार के लिए नई किस्में क्यों आवश्यक हैं?
भारत एक कृषि प्रधान देश है, और यहां की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर करती है। हालांकि, कृषि क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि जलवायु परिवर्तन, सूखा, बाढ़, कीटों और बीमारियों का प्रकोप। इन सबके चलते किसानों को बेहतर और अधिक प्रतिरोधक किस्मों की जरूरत होती है जो उत्पादन बढ़ा सकें और कम संसाधनों में भी अच्छे परिणाम दे सकें।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जारी की गई ये नई फसलें भारतीय कृषि को उन चुनौतियों से लड़ने में मदद करेंगी, जो जलवायु परिवर्तन और रोगों के कारण उत्पन्न हो रही हैं। ये किस्में न केवल अधिक उत्पादकता और पोषण प्रदान करेंगी, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी होंगी, जिससे किसानों को कम लागत पर अधिक लाभ प्राप्त होगा।
नई फसलों की किस्में: एक संक्षिप्त परिचय
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जारी की गई फसलों की किस्मों का उद्देश्य भारतीय किसानों को जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने में मदद करना है। इन किस्मों को ICAR की विभिन्न शोध इकाइयों द्वारा विकसित किया गया है, जो अपनी उन्नत अनुसंधान क्षमताओं के लिए जानी जाती हैं।
इन किस्मों में धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, दलहन और तिलहन जैसी प्रमुख फसलों के अलावा सब्जियों और फलों की नई किस्में भी शामिल हैं। इनमें से कई किस्में विशेष रूप से सूखा-प्रतिरोधी, बाढ़-प्रतिरोधी, कीट और रोग-प्रतिरोधी हैं, जो भविष्य में कृषि उत्पादन की स्थिरता सुनिश्चित करेंगी।
प्रधानमंत्री मोदी का वक्तव्य
इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "भारतीय कृषि में आत्मनिर्भरता की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। ये नई किस्में हमारे किसानों को बदलते मौसम और रोगों से लड़ने की ताकत देंगी और देश के खाद्य उत्पादन को स्थिर बनाए रखेंगी।" उन्होंने यह भी कहा कि ये फसलें न केवल उत्पादन बढ़ाने में मदद करेंगी, बल्कि किसानों की आय में भी सुधार करेंगी, जिससे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
नई किस्मों की सूची और उनके लाभ
यहां जारी की गई 35 फसलों की उन्नत किस्मों की सूची और उनके प्रमुख लाभों का वर्णन किया गया है:
1. धान (चावल) की किस्में
आईआरआर 65:
यह धान की नई किस्म सूखा-प्रतिरोधी है और अधिक उपज देती है।
पीआर 126:
यह किस्म कीट-प्रतिरोधी है और कम पानी में बेहतर उत्पादन देती है।
2. गेहूं की किस्में
एचडी 3385:
यह गेहूं की किस्म विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशील है और इसकी पैदावार उच्च गुणवत्ता की होती है।
डीडब्ल्यूआर 2022:
यह किस्म सूखा-प्रतिरोधी है और कम पानी की स्थिति में भी उच्च उपज देती है।
3. मक्का की किस्में
सीओएचएम 12:
यह किस्म कीटों के प्रति प्रतिरोधक है और इसकी उपज अन्य मक्का किस्मों की तुलना में अधिक होती है।
एचएम 8:
यह किस्म बाढ़-प्रतिरोधी है और कम समय में पकने वाली होती है।
4. बाजरा (मिलेट्स) की किस्में
पीबीआर 1:
यह सूखा-प्रतिरोधी बाजरा की किस्म है जो पोषण तत्वों से भरपूर होती है और गरीब किसानों के लिए फायदेमंद है।
एचबी 37:
यह किस्म उच्च गुणवत्ता की उपज देती है और इसे सीमित पानी की स्थिति में भी उगाया जा सकता है।
5. दलहन की किस्में
टीएपी 22 (अरहर):
यह कीट और रोग-प्रतिरोधी किस्म है, जो अधिक पैदावार के साथ पोषण में भी समृद्ध है।
मूंग पीआर 100:
यह मूंग की किस्म विशेष रूप से सूखा-प्रतिरोधी है और कम समय में पकने वाली होती है।
6. तिलहन की किस्में
सरसों आरएच 122:
यह सरसों की किस्म जलवायु परिवर्तन के अनुकूल है और उच्च तेल उत्पादन के लिए जानी जाती है।
सोयाबीन पीके 104:
यह किस्म कीट-प्रतिरोधी है और इसमें उच्च मात्रा में प्रोटीन और तेल होता है।
7. सब्जियों और फलों की किस्में
टमाटर एच-4:
यह टमाटर की किस्म कीट और रोग-प्रतिरोधी है और इसकी उपज अधिक होती है।
बैंगन पीबी 202:
यह बैंगन की किस्म जलवायु परिवर्तन के अनुकूल है और इसका आकार और गुणवत्ता उच्च होती है।
आम आरएच 200:
यह आम की नई किस्म अधिक पैदावार देने वाली और बागवानी के लिए उपयुक्त है।
नई किस्मों के मुख्य फायदे
1. जलवायु प्रतिरोधक क्षमता:
इन किस्मों को विशेष रूप से बदलते जलवायु के प्रभावों से निपटने के लिए तैयार किया गया है। इनमें सूखा, बाढ़, और अत्यधिक गर्मी जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने की क्षमता है।
2. रोग और कीट प्रतिरोधक:
कई नई किस्में कीटों और रोगों के प्रति प्रतिरोधक हैं, जिससे किसानों को कम कीटनाशकों का उपयोग करना पड़ेगा, और उनकी लागत कम होगी।
3. उच्च पैदावार:
इन नई किस्मों की उपज पारंपरिक किस्मों की तुलना में अधिक होती है, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिलेगा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
4. पोषण सुधार:
ये किस्में पोषक तत्वों से भरपूर हैं, जो उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य में सुधार करने के साथ-साथ कुपोषण की समस्या से निपटने में मदद करेंगी।
किसानों के लिए एक नई उम्मीद
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जारी की गई इन नई फसलों की किस्मों से भारतीय किसानों को एक नई उम्मीद मिली है। ये फसलें न केवल उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार करेंगी, बल्कि कृषि में स्थिरता और टिकाऊपन भी सुनिश्चित करेंगी।
कृषि में वैज्ञानिक अनुसंधान का महत्व
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर जोर दिया कि कृषि अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, "भारतीय कृषि में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रयोग ने हमारी कृषि उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में मदद की है, और ये नई किस्में इसी दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम हैं।"
सरकार की अन्य पहले
प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर सरकार द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही अन्य योजनाओं और पहलों का भी उल्लेख किया। उन्होंने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN), प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, और किसान क्रेडिट कार्ड योजना का उल्लेख किया, जिनका उद्देश्य किसानों की आय को दोगुना करना और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
आने वाले समय में नई संभावनाएं
नई किस्मों के जारी होने से आने वाले वर्षों में भारतीय कृषि में नई संभावनाएं पैदा होंगी। ये किस्में न केवल किसानों के जीवन को बेहतर बनाएंगी, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा को भी मजबूत करेंगी। साथ ही, यह देश को कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाएगा।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ICAR में जारी की गई ये नई फसलों की किस्में भारतीय कृषि के लिए एक क्रांतिकारी कदम हैं। ये किस्में जलवायु परिवर्तन, रोगों और कीटों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता के साथ-साथ उच्च पैदावार और पोषण सुधार का वादा करती हैं। इन किस्मों के जारी होने से भारतीय किसान न केवल आर्थिक रूप से सशक्त होंगे, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा भी मजबूत होगी।
इन नई फसलों का उपयोग भारतीय कृषि को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा, जहां उत्पादन और गुणवत्ता
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