भारतीय लोग किसान बनने की इच्छा क्यों नहीं रखते?
हर पिता चाहता है कि उसकी संतान उससे ज्यादा सफल बने और वह सारे दुख दर्द ना झेले जो उसके पिता ने अपने जीवन काल में देखे हैं | ऐसे
ही किसान की भी मानसिकता यही है | एक किसान अपने बेटे को किसान बनाना क्यों चाहेगा क्योंकि वह जानता है कि एक किसान को कितना स्ट्रगल करना पड़ता है |
इसके अलावा कुछ और पॉइंट्स हैं जो इस सारांश को समर्थन देते हैं :-
2001 के पहले खेती करना उतना लाभदायक नहीं हुआ करता था और ना ही कृषि से जुड़े उतने अच्छे उपकरण बने थे |
बरसात भी अनियमित हुआ करती थी
सभी लोग एक ही प्रकार की फसल लगाया करते थे
सरकार और डीलर के द्वारा उच्च क्वालिटी के बीच और फ़र्टिलाइज़र नहीं उपलब्ध हो पाते थे,
कृषि सामग्री में सब्सिडरी नहीं मिलती थी,
दलाल किसानों का सारा उत्पादन बहुत ही कम दामों में खरीद लेते थे और उसे उच्च दामों में मार्केट में बेच देते थे |
हमारे देश के किसानों ने सब देखा है मौसम की मार से लेकर सरकार के पलटने तक, हमारे देश का किसान खेती तो करेगा पर वह यह कभी नहीं चाहेगा कि उसका बेटा भी बड़ा होकर खेती करें क्योंकि जो दुख उसने अपने जीवन में देखे हैं वह नहीं चाहता कि उसका बेटा भी वही दुख देखें |
हर साल लगभग 1200000 विद्यार्थी ग्रेजुएट होते हैं और उनमें से 80% बेरोजगार रह जाते हैं उसके बाद भी उनमें से कोई कृषि को अपना करियर नहीं बनाना चाहता
यह बात साइंटिस्ट की मान चुके हैं कि लेबोरेटरी के अंदर सारी चीजें करि जा सकती है लेकिन फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया कभी नहीं करी जा सकती और जब तक ऐसी तकनीक हमारे पास नहीं आ जाती तब तक हमें कृषि के ऊपर ही डिपेंड रहना पड़ेगा इसका कोई दूसरा विकल्प नहीं है हमारे पास |
हमें हमारे देश के युवाओं के देखने का नजरिया और उनके मानसिकता को बदलने की जरूरत है
हर किसी को हफ्ते में एक दिन की छुट्टी चाहिए, समर वेकेशन चाहिए और मनमर्जी का आराम चाहिए || जो कि एक किसान के लिए तो मुमकिन नहीं है किसान सातों दिन 12 महीने 24 घंटे काम करता है ||
आप ही बताइए कौन चाहेगा सुबह 4:30 बजे उठना, उठकर गाय का दूध निकालना और नाश्ता करने के बाद वापस खेत में जा कर पिलाओ चलाना, बीज बोना, खाद डालना.
खेती छोड़ देने के बाद आपको कोई पेंशन भी नहीं मिलती जिससे आराम से जीवन यापन कर सके .
चलिए उदाहरण के द्वारा इसे थोड़ा और नजदीक से समझते हैं, मान लीजिए एक किसान है जिसने प्याज की फसल लगाई, ₹6000 की लागत के साथ , 3 महीने बाद जब उसने वह फसल हार्वेस्ट करके बेची उसे मार्केट से ₹24000 मिले |
24000₹ - 6000₹ ( लागत रकम ) = 18000₹
18000₹ - 8000₹ ( अगली फसल की लागत )
= 10,000₹
3 महीने की कड़ी मेहनत के केवल ₹10,000 ?
मौसम की मार जैसे अधिक बरसात, अनियमित बरसात, सूखा पड़ना, बाढ़ आना , फसल में कीड़ों का हमला, फर्टिलाइजर का समय पर ना मिलना, मार्केट में सही रेट ना मिलना - यह सारे डर एक इंसान को कृषि क्षेत्र से दूर करते हैं |
यही सारी वजह है जिससे लोग आज किसान बनना नहीं चाहते और छोटी सी नौकरी या फिर खुद का बिजनेस करके ही जीवन यापन करना पसंद करते हैं |
- TAPSENDRA PATEL
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