भारत में कृषि क्षेत्र की चुनौतियाँ?
भारत में आज भी कृषि क्षेत्र का विकास बहुत बड़ी चुनौती बना हुआ है जिसे पूरा करना इतना आसान नहीं होने वाला है क्योंकि आने वाले 30 सालों में भारत की जनसंख्या लगभग 1.6 बिलियन ( 1,60,00,00,000) तक होने का अनुमान है, इसमें 333 मिलियन( 33.3 Crores) टन का उत्पादन एग्रीकल्चर क्षेत्र से होगा जो कि लगभग अभी के उत्पादन से एक तिहाई ज्यादा होगा ।
अनुमान के द्वारा अभी भारत में कई प्रकार की चुनौतियां हैं जिन्हें हम समझने की कोशिश कर सकते हैं :-
•किसानों के पास कम जमीन होना :- किसानों के पास कम जमीन होना एक बहुत बड़ी बाधा है जो कृषि क्षेत्र को अधिक फायदेमंद बनाने से रोकती है ।
खेतों में कटाई एवं विभाजन होने के कारण लगभग 5 से 6 प्रतिशत खेती योग्य भूमि व्यर्थ की रह जाती है, औसतन 85 प्रतिशत जमीन छोटे एवं मिडिल क्लास किसानों के पास है जिसके हिसाब से एक छोटे किसान के पास औसतन 0.9 प्रतिशत हेक्टेयर की जमीन है । जबकि हमारे देश में हर एक भारतीय नागरिक पर लगभग 1.5 हेक्टेयर की जमीन उपलब्ध है । आप खुद सोचिए बढ़ती जनसंख्या और कान्क्रटाइज़ (Concretisation) [ Concretisation of Earth Surface ] के चलते यह उपजाऊ जमीन भी धीरे-धीरे घट रही है जो एक बहुत ही गंभीर समस्या को अंजाम दे सकती है सरकार को इस पर विचार करना चाहिए और उच्च निर्णय लेकर इस समस्या के रोकथाम के लिए कुछ एक्शन प्लान तैयार करना चाहिए शुरुआत के लिए इस समस्या का हल" सहायक खेती" से किया जा सकता है जिसमें सभी किसान मिलजुल कर खेती करें ।
•पुराने एवं पारंपरिक रीति-रिवाजों से जुड़े रहना :- पुराने तौर तरीके आज भी खेती में बहुत ही कारीगर माने जाते हैं परंतु रोज बदलते वातावरण और उत्पादन की अधिक डिमांड को ध्यान में रखकर किसानों को आज के समय के नए तौर-तरीके अपनाने की जरूरत है ।
•सिंचाई की सुविधाएं :- कृषि क्षेत्र में भारत की सबसे बड़ी चुनौती पानी की कमी और उसका प्रबंध करना है, वैसे तो हमारे पास बहुत सारे विकल्प है जो कि अलग-अलग क्षेत्र में पानी की उपलब्धता के अनुसार किए जाते हैं परंतु उसके बाद भी फसलों में होने वाला नुकसान जो सूखा पड़ने के कारण होता है उसको रोकने की जरूरत है ।
•विविधीकरण और मशीनीकरण अकेले ही किसानों की आय को 4 से 5 गुना बढ़ा सकते हैं । हमारे देश में कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण से ज्यादातर मतलब केवल ट्रैक्टर और हार्वेस्टर से है इसमें कोई शक नहीं है कि साल दर साल ट्रैक्टर की बिक्री बढ़ती जा रही हैं परंतु छोटे किसान इसका लाभ नहीं ले पाते कृषि क्षेत्र की मशीनें बहुत ही महंगी बेची जाति हैं जो छोटे किसान खरीदने के लिए इतना पैसा नहीं जुटा पाते ।
•ज्यादातर किसानों को बाकी गतिविधियां करने का पर्याप्त समय नहीं मिलता है, जो उनकी आय को काफी हद तक पढ़ा सकती हैं जैसे खेतों के आसपास और खाली जगहों में कैश क्रॉप लगाना, हॉर्टिकल्चर क्रॉप लगाना, वर्मी-कंपोस्ट एवं वर्मी-कल्चर का प्रयोग करना ,मछली पालन, पोल्ट्री फार्म, सुगंधित फसलें, सब्जी, बागवानी फसलें, मधुमक्खी पालन, मशरूम की खेती, इत्यादि इन सारी गतिविधियों से किसान अपनी आय को 20 से 200% तक बढ़ा सकता है ।
•रोजगार के अवसर ज्यादा होने के बाद भी राष्ट्रीय जीडीपी में योगदान बहुत ही कम है ।
•कृषि से देश की लगभग 13.9% जीडीपी हर साल आती है, उसके बाद भी कृषि में इन्वेस्ट होने वाला पैसा-- पैदा होने वाली दर का 70% भी नहीं होता है, मसलन यह है कि कृषि के विकास और रिसर्च में और ज्यादा पैसा खर्च करा जाना चाहिए, जिससे कृषि क्षेत्र को एक सही दिशा मिले और उत्तम निर्णय लेने के साथ कृषि को और बढ़ावा मिले ।
•कृषि क्षेत्र में जो मशीनें अभी उपलब्ध है वह केवल बड़े किसानों द्वारा यूज़ करी जाती हैं और यह बहुत ही महंगी होती हैं जिसे छोटे किसान नहीं ले पाते, फिर उन्हें यह मशीनें किराए से लेनी पड़ती है कम मशीनें होने के कारण ( जैसे ट्रैक्टर हार्वेस्टर प्रेसिंग मशीन इत्यादि) समय पर किसानों को नहीं मिलपाती जिससे नुकसान होता है।
•मानसून पर सिंचाई और निर्भरता में कमी होना ।
•किसानों में शिक्षा की कमी होना
•हरथोड़ी दूरी में क्षेत्रीय परिवर्तन होने से मौसम और वातावरण की एकदम सटीक जानकारी मिलना बहुत मुश्किल है क्षेत्रीय परिवर्तन के कारण वहां पर मौजूद पानी,हवा, मिट्टी का व्यवहार फसलों के प्रति बदल जाता है । जो उत्पादन को कम या ज्यादा कर सकता है ।
•मार्केटिंग और स्टोरेज की सुविधाओं में कमी होने के कारण किसानों को लगभग 30% का नुकसान हो जाता है अगर इस चीज पर सही तरीके से काम किया जाए तो भारत में कम से कम 3 लाख करोड़ तक का नुकसान बचाया जा सकता है, जो कि स्टोरेज की कमी और मार्केटिंग के ना होने की वजह से हर साल होता है।
•बैंक से प्राप्त किया गया ऋण अगर सही उपयोग में ना आए तो उसको लेने का क्या फायदा होगा ?
अगर किसान को समय पर ऋण ना मिले तो खाद सामग्री और अन्य जरूरी चीजों को लेने में देरी हो जाती है, जिस वजह से फसलों उत्पादन में कमी आ जाती है ।
•सरकार को किसानों के ऋण को नगद पैसे देने की बजाएं बीज, उर्वरक, सिंचाई मशीन आदि या किसी अन्य कृषि आदान के रूप में देना चाहिए, जिससे किसान का पैसा दिए गए काम के लिए ही उपयोग हो ,नकद राशि केवल उन किसानों को दी जाए जो किसी प्राकृतिक आपदा के कारण अपनी जीवनशैली गुजारने में परेशान हो रहे है।
इन सारी परेशानी के बावजूद भी और भी अनेक चुनौतियां हैं जो कृषि क्षेत्र को बहुत मुश्किल बनाते हैं
•परिवहन सुविधा एवं अन्य बुनियादी ढांचा मैं कमी होने :- जाहिर सी बात है कि एक किसान का उत्पादन टनो में होता है और लोकल या रीजनल एरिया में ऐसा कोई भी व्यापारी मौजूद नहीं है जो इतना सारा उत्पादन एक साथ खरीद सके इसलिए किसान को परिवहन व्यवस्था करके सारे उत्पादन को शहर ले जाना ही पड़ता है, और इसमें देरी होने के कारण किसानों को काफी नुकसान भी होता है ।
•कम लाभप्रदता एवं कम उत्पादकता :- अधिकांश भारतीय किसानों को अभी भी अन्य विकसित राज्यों की तुलना में बहुत कम लाभ और उत्पादन प्राप्त होता है, यहाँ तक कि भारतीय राज्यों के बीच भी एक बड़ा अंतर है।
- TAPSENDRA PATEL
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